भारत में पितृसत्तात्मक सोच का दबदबा है। ऐसे में महिलाओं को अक्सर आर्थिक तौर पर पिता, पति या फिर पुत्र पर निर्भर रहना पड़ता है। अगर इनमें से कोई उनकी मदद से इनकार करता है, या उनका हक मारता है, तो उनके लिए गुजारा करना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि क़ानून में महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त करने की कोशिश की गई है, ताकि वे पिता या पुश्तैनी संपत्ति में अपना हक ले सकें। बेटी को मायके की संपत्ति में बेटे के बराबर का हक दिया गया है। इस बारे में पहले कई किंतु-परंतु थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ़ कर दिया कि बेटी और बेटा, दोनों को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक होगा। हमारे देश में पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकारों से संबंधित क्या प्रावधान हैं इसको लेकर बहुत से लोगों में जानकारी का अभाव रहता है. खासकर महिलाओं को इसकी कम जानकारी होती है. बहुत सी महिलाएं मानकर चलती हैं कि इस संपत्ति से उनका कुछ भी लेना-देना नहीं है….इसके अलावा तमाम सामाजिक परंपराओं की वजह से भी बेटियां पिता की संपत्ति में अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं….आज हम आपको बेटियों के पिता की संपत्ति…मां की बेटे की संपत्ति और पति की संपत्ति पत्नी के हक संबंधी कानूनी प्रावधानों के बारे में बताएंगे..