भारत एक विविधताओं से भरा देश है..और हमारा संविधान ये सुनिश्चित करता है कि…कि इस देश में सैकड़ों संस्कृतियों, भाषाओं, बोलियों, रीति रिवाज़ों और सारे धर्मों को अपनी आस्था और स्वतंत्रता के साथ जीने का पूरा हक़ है। हज़ारों सालों के इतिहास को समेटे इस देश की समरसता देखते ही बनती है। इतनी डायवर्सिटी शायद आपको पूरे विश्व में किसी देश में देखने ना मिले। इसीलिए भारत के इन तमाम राज्यों में सांस्कृति, राजनीतिक और भौगोलिक परिस्थितियों में काफी असमानता है। जिसके चलते संविधान में उनके लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। संविधान के भाग 21 में अनुच्छेद 371 से लेकर 371-जे तक 12 राज्यों के लिएं विशेष प्रावधान किए गए हैं। जिससे किसी भी प्रकार की बाधा इन राज्यों के विकास के आड़े ना आ सके। और हर पिछड़े औऱ कमज़ोर राज्य भी बाकी राज्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विकास की दौड़ में बराबरी से चल सकें। ताज़ा मामला केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का है… जिन्होंने तमाम अफवाहों पर पूर्णविराम लगाते हुए अपना बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि अनुच्छेद 371 और 370 में बहुत बड़ा अंतर है। और अनुच्छेद 371 से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। दरअसल केन्द्र सरकार ने जबसे जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 के अधिकतर भागों को हटाया था.. तबसे अनुच्छेद 371 को हटाने की अफवाहों का बाज़ार ग़र्म था। आज विशेष के इस अंक में हम बात करेंगे अनुच्छेद 371 पर दिए गृह मंत्री के बयान की..जानेंगे क्या कहता है ये अनुच्छेद.. और समझेंगे क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा